पम्मी सिद्धू, जिन्होंने यारी जट्ट दी फिल्म के ज़रिए धूम मचाई।

पंजाबी सिनेमा में किसी हीरो और हीरोइन के अलावा किसी अन्य कलाकार को महत्व दिया जाऐ बहुत ही कम होता है। ज़्यादातर फोकस नायक और नायिका पर होता है, चाहे वह भूमिका हो, संवाद हो या मेकअप। 1987 में, वीरेंदर की फिल्म "यारी जट दी" आई। यह फिल्म सुपरहिट थी और यह उस समय की सिल्वर जुबली फिल्म थी। आइए हम आपको इस डायलॉग की याद दिलाते हैं। 

           " जे तू वैली हैं,तां मैं भी वैलन हां वैलन"
इस डायलॉग के साथ, इस किरदार को सिनेमाघरों में खूब वाहवाह मिली। लोगों ने इस संवाद के साथ फिल्म को विशेष तौर पे देखा और आज भी लोग इसे देखते और पसंद करते हैं। इस फिल्म में प्रीति सप्रू की सौतेली माँ की भूमिका को काफी सराहा गया था। एस चरित्र को परमिंदर कौर सिद्धू उर्फ पम्मी संधू ने निभाया था। पम्मी संधू 17 अप्रैल 1959 को डेरा बस्सी में एक सिख परिवार में पैदा हुई। 

जब वह 28 दिन की हुई तो उसकी मां को सरकारी नौकरी मिल गई और  बखताखेड़ा (हरियाणा) स्थानांतरित कर दिया गया था। एक साल बाद उनकी मां का तबादला माहिल कलां हो गया। पम्मी ने 7 वीं जमात तक अपने गांव माहिल कलां और 8वीं से प्रैप तक सिख गर्ल्स हाई स्कूल और कॉलेज सिधवां खुर्द से पास की। 
शुरुआत से, पम्मी को परिवार ने लाडों के साथ पाला था। यही कारण था कि वह बोलने में संकोच नहीं करती थी। एक बार सरपंची के लिए एक उम्मीदवार वोट मांगने आया, जब पम्मी के पिता के बारे में पूछा गया, तो पम्मी ने कहा कि वह पांच मिनट में आंएगे तब उम्मीदवार ने कहा हमारे पास उतना समय नहीं है। 

फिर नाराज होकर, पम्मी ने गुस्से से कहा, "आपके पास तो अब समय नहीं है। जब हमने वोट देकर आपको जीता दिया,फिर तो आप कभी नहीं मिलेंगे। ख़ैर, वो लोग चुपचाप चले गए।

रात में, उम्मीदवार पम्मी के घर आया,और उसने माफी मांगी, कहा "बेटा भविश में आगर मेरी जरूरत पडी तो मैं तुम्हारी हर हाल सहायता करूंगा। यह पम्मी के गौरव और निडरता को दर्शाता है। पम्मी ने खालसा कॉलेज फॉर वूमेन से बी.ए. की और कालज में पम्मी बेस्ट एनसीसी कैंडिडेट, बेस्ट राइफल शूटर, पंजाबी साहित्य सभा की अध्यक्ष, विद्यार्थी परिषद की सचिव, हॉस्टल की हेड गर्ल रही।

एसके बाद, पम्मी ने अंग्रेज़ी में एम ए, पुरातन इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग में एम ए किया और विश्वविद्यालय में टाप किया। सरोजिनी हॉल हॉस्टल, पंजाबी यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में एक दिन, पम्मी सिद्धू की पंजाबी फिल्मों के  कॉमेडियन डॉ.शूरिंदर शर्मा से मुलाकात हुई, जो एक समारोह के लिए लड़कियों को गिद्दा सिखाने आए थे, वह पम्मी के गिद्दा स्टेप्स से काफी प्रभावित थे।
इस बीच, 1981 में, पम्मी ने सरपंच फिल्म के एक गीत 'मनके मनके' में भंगडा पाया और विश्वविद्यालय में राज्य स्तर पर भी भंगडा पाया। 1983 में, पम्मी ने दूरदर्शन के जालंधर कार्यक्रमों में एक महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई। सुरिंदर शर्मा जसपाल भट्टी के साथ सरोजिनी हॉस्टल आए ओर जसपाल भट्टी ने पम्मी को बताया कि वह दूरदर्शन के लिए कुछ स्किट्स बनाना चाहता है जो चित्राहार के बीच चलेंगी।

 पम्मी ने हाँ कहा और शो की शूटिंग शुरू कर दी। एस शो का नाम "रंग 'च भंग" था। एस शो से पम्मी को बहुत पहचान मिली। पम्मी का कहना है कि शूटिंग के दौरान जब वह बस में सफर करती तो लोग अक्सर पम्मी को पहचान लेते थे ओर कहते थे वोह देखो ''रंग च भंग" वाली लड़की। इसके बाद म्यूजिकल कॉमेडी शो "कच दियां मुंद्रा" भी पम्मी के हिस्से आया और यह कार्यक्रम बहुत अच्छा चला।एक बार डा. शर्मा ने सरोजनी हाल में आना था वहां 'पारो' नाटक की रिहर्सल चल रही थी। 

लेकिन उस दिन पंजाबी फिल्मों के सुपर स्टार 'वीरेंद्र'  भी सुरिंदर शर्मा के साथ आए। रिहर्सल के बाद  वीरेंद्र ने सुरिंदर शर्मा से कहा कि उन्हें पम्मी का पारो का किरदार काफी अच्छा लगा और वो उसे अपनी फिल्म में कास्ट करेंगे। उस समय वीरेंद्र एक फिल्म के कुछ दृश्यों की शूटिंग के लिए लंदन गए थे और सुखजिंदर शेरा से फिल्म की कहानी लिखवाई थी।
फिल्म की शूटिंग 1985 में शुरू हुई और शूटिंग के दौरान, पम्मी की प्रीतिंदरजीत सिंह संधू (जो पावर बोर्ड में इंजीनियर थे) से मंगनी हो चुकी थी। पम्मी से एक सीन नही हो रहा था। सैट पे पम्मी के होने वाले पति भी मौजूद थे। वीरेंद्र ने उन्हें कहा कि वह पम्मी को थोड़ा घुमा लाएं ताकि पम्मी की घबराहट दूर हो जाए।

 एक दृश्य में पम्मी ने प्रीति सप्रू को थप्पड़ मारना था लेकिन वह दृश्य पम्मी से हो नहीं रहा था। थप्पड़ कैमरे में नकली लग रहा था। प्रीति सप्रू ने पम्मी को असली में थप्पड़ मारने को कहा और पम्मी ने ऐसा ही किया दृश्य एक टेक में हो गया। 
एक नई अभिनेत्री होने के बावजूद, सभी ने पम्मी को सेट पर अच्छा महसूस कराया। वीरेंद्र ने सब कुछ संभाला। फिल्म की डबिंग के दौरान, वीरेंद्र ने पम्मी और उसके पति को एक हफ्ते के लिए बॉम्बे में आमंत्रित किया था। 

पम्मी ने सनी सुपर साउंड में सिर्फ तीन दिनों में अपनी डबिंग पूरी की थी। हर कोई बहुत खुश था। पम्मी कहती है कि वह सात दिन कभी नहीं भूल पाएगी, उसे वीरेंद्र के साथ बिताए पलों की याद आ गई। 6 अगस्त, 1987 को, पम्मी को अभिलेखागार विभाग में एक शोध सहायक के रूप में नौकरी मिली। 1987 में जब यारी जट्ट दी फिल्म रिलीज़ हुई, तो फिल्म सिल्वर जुबली हिट रही।

1988 में, पम्मी के पति को अचानक दिल का दौरा पड़ा और पम्मी ने अपने पति की देखभाल के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया। वीरेंद्र ने पम्मी से नई फिल्म में भूमिका देने का वादा किया था।  पम्मी खुश थी लेकिन वीरेंद्र की मौत की ख़बर सुनते ही पम्मी को सबसे बड़ा झटका लगा।
वह वीरेंद्र से बहुत जुड़ी हुई थी। वह कुछ समय के लिए सदमे में थी। कुछ साल बाद, उसके पति  फिर से बिमार हुए, यही वजह है कि पम्मी ने कई फिल्में नहीं कीं। लेकिन एक दिन उसकी मुलाकात सरदुल अटवाल से हुई। 

पम्मी ने उनके साथ एक टैली फिल्म   की और एक फीचर फिल्म ज़ोरावर की जिस में नायक शरनदीप थे और नायिका रविंद्र मान थी और पम्मी ने इस फिल्म में फफेकुटनी सास की भूमिका निभाई थी। फिर फिल्म 'सुखा'  जिसमें अभिनेता विशाल सिंह और नायिका रेशमा राज थे। यह फिल्म 1997 में सुपरहिट रही थी।
1998 में, पम्मी ने फिल्म तेरियन मोहब्बतें में अभिनय किया, लेकिन दुर्भाग्य से फिल्म सेंसर होने के बावजूद रिलीज़ नहीं हुई। 1998 में, पम्मी ने जसपाल भट्टी लिमिटेड की बैनर फिल्म "माहोल टेक है" में एक विशेष भूमिका निभाई। यह फिल्म उस समय की सबसे बड़ी हिट थी। 

इसके बाद पम्मी के पति की तबीयत खराब हो गई और उन्होंने कुछ समय के लिए फिल्मों को अलविदा कह दिया। इसी बीच फिल्म 'इश्क न पुछे ज़ात' भी की। सालों बाद 2000 में, पम्मी के घर बेटा पैदा हुआ जिसका नाम गुरपिंदरपप्रीत सिंघ संधू रखा गया। 2000 से 2016 तक, पम्मी के पति की तबीयत बहुत खराब थी।  उसे बुरे समय से जूझना पड़ा। जून 2016 में पम्मी के पति की मृत्यु हो गई और पम्मी तबा हो गई। दर्द के बावजूद पम्मी ने कभी हार नहीं मानी, लेकिन अंत में पम्मी हार गई।

पम्मी को उनके सामाजिक कार्यों के लिए कई पुरस्कार मिले हैं। भांगड़ा उत्सव पुरस्कार 2017, रियल सिटीजन अवार्ड 2018, प्रो। मोहन सिंह इंटर कॉलेज प्रतियोगिता 2018, ब्रजभूमि नारी शक्ति को प्रणाम पुरस्कार 2019, जयंती पुरस्कार 2019, द्वितीय महाराणा दीपिन्दर कौर मेहताब ट्री फेयर 2019। आजकल पम्मी हेरिटेज एंड कल्चरल सोसाइटी। वह बोर्ड का सदस्य है और उसने विभाजन संग्रहालय, अमृतसर के लिए बहुत कुछ किया है।
पम्मी वर्तमान में बीड वर्ल्ड सोसाइटी फरीदकोट में गुरप्रीत सरन के संरक्षण में है, जो कोट करोड स्कूल में सामाजिक अध्ययन शिक्षक हैं।उनके मार्गदर्शन में बीर सोसायटी 100 से अधिक हार्बर गार्डनन और 50,000 से अधिक पेड़ लगाए गए हैं।

पम्मी अपने बेटे गुरुपिंदरप्रीत के साथ चंडीगढ़ में रह रही है। उसने कभी भी जीवन को बोझ नहीं माना है और हमेशा समय के साथ चली है। पम्मी उनकी सफलता के पीछे सुरिंदर शर्मा का हाथ मानती है।पम्मी ने शर्मा से बहुत कुछ सीखा है और वीरेंद्र की बदौलत पम्मी आप सभी के दिलों पर राज कर रही है। ।
 

Comments